वही शाम वही सवेरा
🌸वही शाम वही सवेरा🌸
बेखुदी की इन लम्हों के साथ,
बीतता हुआ पलों का सिलसिला !
खामोश लफ्जों के थरथराहट में,
छिपा हुआ अनगिनत एहसासों का सितम!
कुछ हैरानी सी है वक्त के जख्मों से,
क्योंकि दर्द में भी सुकून सा मिलता है!
ढलती दुखों की रंजिशो में,
सुखों के सवेरे का आगाज है!
जीवन हर उम्र में मिले हुए ,
अनुभवों का ही तो सार है!
बदलता हुआ वक्त कह रहा,
मौसम के साथ तुम भी तो बदलो!
शाम भी मौसम के साथ बदलती गई!
सवेरे की रोशनी भी खुशियों से चमकती गई!
वक्त ने ऐसा बांधा कि उम्र कैसे बीता पता ना चला!
फिर एक ऐसा दिन आया जहां ,
वही शाम था वही सवेरा!
कुछ खुशियों से सजे हुए सपने थे,
और कुछ गमों में लिपटी हुई यादें!
तनहाइयां भी मुस्कुरा कर कह रही मुझसे,
जीवन का यह सिलसिला अभी भी जारी है!!
- Archit Savarni ✍
ऋषभ दिव्येन्द्र
21-Oct-2021 08:44 AM
बहुत खूब 👌👌
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Niraj Pandey
21-Oct-2021 05:58 AM
बहुत खूब
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रतन कुमार
20-Oct-2021 11:29 PM
Wah gjb
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